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राजस्थान के लोक देवता

Written by rkjameria

राजस्थान के लोक देवता

मारवाड़ के पंच पीर
रामदेव जी, गोगा जी, पाबूजी,हरभू जी, मेहा जी

वीर तेजा जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – खरनाल (नागौर)
  • जन्म तिथि – माघ शुक्ला चतुर्दशी वि.स. 1130 को
  • वंश – जाट वंश
  • पिता का नाम – ताहड़ जी
  • माता का नाम -राजकुंवरी / रामकुंवरी
  • घोडी का नाम – लीलण (सिंणगारी)
  • पत्नी का नाम – पैमल (पनेर शहर (अजमेर) नरेश रामचन्‍द जी की पुत्री)
  • कार्यक्षेत्र हाडौती क्षेत्र रहा है।
  • तेजाजी अजमेर क्षेत्र में लोकप्रिय है।
  • इन्हें जाटों का अराध्य देव कहते है।
    उपनाम –
  • कृषि कार्यो का उपकारक देवता,
  • गायों का मुक्ति दाता,
  • काला व बाला का देवता,
  • धोलियावीर (अजमेर में इनको इस नाम से जाना जाता है।)
    मृत्यु –
  • गायें छुड़ाई – मेर के मीणाओं से लाछा गुजरी की।
  • नाग डसा – सैदरिया (अजमेर)
  • मृत्यु हुई – सुरसुरा (अजमेर)
  • मृत्यु का समावार लाई – लीलण (सिंणगारी)
    मंदिर –
  • मुख्य मंदिर – खरनाल (नागौर)
  • परबतसर का मंदिर – अभयसिंह ने बनवाया
  • पुजारी कहलाता – घोडला
  • प्रतिक चिह्न – तलवार लिए अश्वरोही
  • गीत – तेजा टेर
  • परबत सर (नागौर) में ” भाद्र शुक्ल दशमी ” को इनका मेला आयोजित होता है।
  • भाद्र शुक्ल दशमी को तेजा दशमी भी कहते है।
  • तेजाजी के मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय वीरतेजाजी पशु मेला आयोजित होता है।
  • इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय प्राप्त होती है।
  • अन्य प्रमुख स्थल – ब्यावर, सैन्दरिया, भावन्ता, सुरसरा।

देवनारायण जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – मालसेरी के जंगलों में (आशीन्द, भीलवाडा)
  • पिताजी का नाम – संवाई भोज
  • दुर्जनशाली शिवाय ने राजा सवाई भोज की हत्या की।
  • माता का नाम – सेडू खटाणी।
  • बचपन का नाम – उदयसिंह
  • अवतार – भगवान विष्णु के
  • घोड़े का नाम – लीलाधर
  • पत्नी का नाम – पीपलदे (मध्यप्रदेश के थार के शासक राजा जयसिंह की पुत्री )
    मंदिर
  • मुख्य मंदिर – आसोज , भीलवाड़ा
  • प्रतिक चिह्न – ईंट (जिसकी मंदिर में पुजा होती है।)
  • आराध्य देव – गुर्जर जाति के
  • गुर्जर जाति का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन है।
  • उपनाम – चमत्कारी लोक पुरुष
    अन्य मंदिर
  • देवडुंगरी (चितौड़गढ़)
  • देवधाम (जोधपुरियां, टोक)
  • देवमाली (ब्यावर, अजमेर)
    मेला
  • मुख्य मेंला – भाद्र शुक्ल सप्तमी
  • अनुदायी – गुर्जर जाति के लाेग
  • फड़ वाचन – गुर्जर जाति के भोपे (वाद्ययंत्र – जंतर)
    फड़
  • सबसे प्राचीन फड़ – देवनारायण जी की
  • सबसे लम्बी फड़ – देवनारायण जी की
  • सबसे छोटी फड़ – देवनारायण जी की
  • सबसे लोकप्रिय फड़ – पाबुजी की फड़
  • (पाबुजी की फड़ का वाचन नायक व आदिम जाति के भोपों द्वारा रावणहत्था वाद्ययंत्र बजाकर करते है।)
  • देवनारायण जी की फड़ पर भारत सरकार ने 5 रु का टिकट जारी किया।
    प्रमुख स्थल-
  • 1. सवाई भोज मंदिर (आशीन्द ) भीलवाडा
  • 2. देव धाम जोधपुरिया (टोंक)
  • (इस स्थान पर सर्वप्रथम देवनारायणजी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था।)

देवबाबा जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – नगला जहाज (भरतपुर)
  • मेला – भाद्र शुक्ल पंचमी और चैत्र शुक्ल पंचमी
    उपनाम –
  • ग्वालों का पालन हार
  • गुर्जराें के पालन हार

वीर कल्ला जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – मेडता (नागौर) में हुआ।
  • पिता का नाम – अचलाजी राठाैड़
  • बुआ का नाम – मीरा बाई
  • गुरू – योगी भैरवनाथ
  • प्रतिमा – सामलिया (डूंगरपुर)
  • इन्हें योगाभ्यास और जड़ी-बूटियों का ज्ञान था।
  • मृत्यु – भैरवपोल (चित्तौडगढ़ के दुर्ग में)
    (1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के दौरान अकबर से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए)
  • सिद्धपीठ – रनैला
    (भूत – पीसाच के ग्रसित रोगियों का इलाज होता है।)
    उपनाम –
  • शेषनाग का अवतार,
  • चार भुजाओं वाले देवता
    (1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के युद्ध में बिना सर के जयमल राठौड़ को अपने कंधों पर उठाकर यह इस प्रकार लड़े मानों यह चार हाथ से लड़ रहे हो। इसलिए इन्हें चार हाथों वाले देवता कहते है।)

मल्लिनाथ जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – मारवाड़
  • कब – 1358 ई.
  • पिता का नाम -रावल सलखा
  • माता का नाम – जाणीद
  • मंदिर – तिलवाडा (बाडमेर)
    (इनकी राणी रुपादे का मंदिर भी पास के गाँव मालाजाल में हैं।)
    मेला
  • मेला कब – चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक
  • मेला कहाँ – लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर)
    (यह मेला मल्लिनाथ जी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।)
  • इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है।
    (थारपारकर व कांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।)
  • बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लिनाथ जी के नाम पर ही हुआ हैं।

डूंगजी- जवाहर जी – राजस्थान के लोक देवता

शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता।
ये अमीरों व अंग्रेजों से धन लूट कर गरीब जनता में बांट देते थे।
1857 की क्रांति में उन्होंने महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई।

बिग्गा जी/वीर बग्गा जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – जांगल प्रदेश (बीकानेर)
  • परिवार -जाट परिवार
  • पिता का नाम – रावमोहन
  • माता का नाम – सुलतानी
  • कुल देवता – जाखड़ समाज के
  • मंदिर – बीकानेर
  • मुस्लिम लुटेरों से गाय छुडाते समय वीरगति को प्राप्त हुए।

पंचवीर जी – राजस्थान के लोक देवता

  • शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।
  • शेखावत समाज के कुल देवता है।
  • अजीत गढ़ (सीकर) में मंदिर है।

पनराज जी – राजस्थान के लोक देवता

  • जन्म – नगाा ग्राम (जैसलमेर)
  • मंदिर – पनराजसर (जैसलमेर)
  • पनराज जी जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता है।
  • काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

मामादेव जी

  • ये पश्चिमी राजस्थान के लोकप्रिय देवता है।
  • मामदेव जी को खुश करने के लिए भैंसे की बली दी जाती है।
  • इनके मंदिरों में मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बनें कलात्मक तौरण होते है।
    उपनाम-
  • बरसात के देवता।
  • गाँव के रक्षक।

इलोजी जी

  • उपनाम – छेडछाड़ वाले देवता।
  • जैसलमेर पश्चिमी क्षेत्र में लोकप्रिय
  • इनका मंदिर इलोजी (जैसलमेर ) में है।

तल्लीनाथ जी

  • वास्तविक नाम – गंगादेव राठौड़ ।
  • गुरू – जलन्धरनाथ
  • (जालन्धर नाथ न ही गंगादेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
  • शासक – शेरगढ (जोधपुर) ठिकाने के
  • पंचमुखी पहाड़ – पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित है।

भोमिया जी

  • भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।

केसर कुवंर जी

  • गोगा जी के पुत्र कुवंर जी के थान पर सफेद ध्वजा फहराते है।
  • इनका भोपा सांप के डंक को मुंह से चुसकर निकालता है।

वीर फता जी

  • जन्म – सांथू गांव (जालौर)
  • मेला – भाद्रपद शुक्ल नवमी को ( सांथू गांव में )
गायों की रक्षा हेतु लोक देवताओं ने युद्ध किया
1. लांछाा/लाछन गुजरी की गायो को मेर के मीणाओं से छुड़वाया - तेजा जी ने
2. देवल चारणी की गायों को जिन्दराव खींची से छुडवाया -पाबूजी ने
3. गौरक्षार्थ हेतू महमूद गजनवी से युद्ध किया - गोगा जी ने
4. मुस्लिम लुटेरों से गायों को छुडवाया - बीग्गा जी/बग्गा जी ने
5. काठौडी ग्राम के ब्राहमणों की गायों को छुडवाया - पनराज जी ने।

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