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भारत में 1857 की क्रांति

Written by rkjameria

भारत में 1857 की क्रांति

1857 की क्रांति के तथ्य(भारत में 1857 की क्रांति)

  • बहादुरशाह II ज़फर को गिरफ्तार करके रंगुन जैल (ब्रह्मा) भेजा गया। जहाँ 1862 ई. में उनका निधन हो गया।
  • नाना साहब और बेगम हज़रत महल दोनों नेपाल चले गये।
  • लक्ष्मीबाई ग्वालियर (MP) में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई।
     Note
    ह्युरोज ने कहाँ“यहाँ सोये हुए सिपाहियों में एकमात्र मर्द लक्ष्मीबाई है।“
    सुभद्रा कुमारी चौहान ने कहाँ “खुब लड़ी मर्दनी हो तो झांसी वाली रानी”
  • 1857 की क्रांति में तात्या टोपे (आत्मारंग पांडु रंग) ने नाना साहब व लक्ष्मी बाई का सहयोग किया। तत्पश्चात तातिया टोपे सलुम्बर (उदयपुर) चले गए। लेकिन मानिसंह नरूका के विश्वासघात के कारण नरवर(MP) के जंगलों में पकड़े गए और अंग्रेजों ने 18 अप्रेल 1859 को शिवपुरी (सिकरी, MP) में फांसी दे दी गयी।

1857 की क्रांति असफलता के कारण (भारत में 1857 की क्रांति)

  • कुशल नेतृत्व का अभाव
  • संघटन में कमी
  • क्रांति का समय पुर्व शुरु होना
  • क्रांतिकारियों के पास संसाधनों का अभाव
  • राजा-महाराजाओं का अग्रेजों को सहयोग

क्रांति का स्वरुप (भारत में 1857 की क्रांति)

  • सैनिक विद्रोह – युरोपिय इतिहासकारों ने कहा
    (युरोपिय इतिहासकार बैंजामिन डिजराइली ने राष्ट्रीय विद्रोह बताया)
  • राष्ट्रीय विद्रोह – भारतीयों ने
    (अशोक महत्ता ने “द ग्रेट रिबेलियन” नामक पुस्तक में इसे राष्ट्रीय विद्रोह बताया)(भारत में 1857 की क्रांति)
    Note
    स्वतंत्रता संग्राम – वी डी सावरकर (इन्होने अपनी पुस्तक “The Indian War of Independence” में इसे प्रथम स्वत्ंत्रता संग्राम बताया)

1857 की क्रांति के घटना स्थल (भारत में 1857 की क्रांति)

क्र.सं.स्थाननेतृत्व कर्ता
1.दिल्लीबहादुरशाह ज़फर
सेनापति – बख्त खां
2.लखनऊनाना साहेब
बेगम हजरत महल और उनका पुत्र बिजरिस फादिर
3.झांसी (MP)लक्ष्मीबाई / मणिकर्णिका
4.जगदीशपुरकुवंर सिंह
5.बरेली (MP)खान बहादुर खां
6.इलाहबाद (MP)लियाकत अली
7.फैजाबाद (MP)मौलवी अहमदुल्ला

1857 की क्रांति के परिणाम (भारत में 1857 की क्रांति)

  • भारत में EIC (East India Company) का शासन समाप्त।
  • भारत की शासन व्यवस्था ब्रिटेन की संसद ने अपने हाथ में ले लिया।
  • भारत की शासन व्यवस्था चलाने हेतु भारत सचिव / भारत मंत्री का पद सृजित किया गया और चार्ल्स वुड को प्रथम भारत सचिव बनाया गया।

राजपुताना में अग्रेजों का हस्तक्षेप

17 वीं शताब्दी में मुबलों की केन्दीय सत्ता कमजोर हुई, इसी कारण मराठों का उत्तरी भारत पर आक्रमण हुआ।
मराठों ने राजपुताना में सर्वप्रथम बूंदी रियासत में हस्तक्षेप किया , तत्पश्चात मराठों ने जयपुर उत्तराधिकार में हस्तक्षेप किया।
प्रतिक्रिया स्वरुप राजपुताना के सभी राजाओं ने 17 जुलाई 1734 को भीलवाड़ा में घुड़ला सम्मेलन का आयोजन किया। किन्तु यह आयोजन असफल रहा।
मराठाओं ने सम्पुर्ण राजपुताना में हस्तक्षेप किया और चौथ नामक कर वसुला , लेकिन मराठाओं ने बीकानेर और जैसलमेर पर आक्रमण नहीं किया।
मराठाओं ने राजपुताना की तीन रियासतों से चौथ नामक कर नहीं वसुला – बीकानेर , जैसलमेर और किशनगढ़


राजपुताना के शासक मराठाओं एवं पिण्डारियों से परेशान होकर अंग्रेजों को अपना रक्षक समझा , जिसके तहत उन्होंने निम्न संधियां की-

(क) वैलेजली की सहायक संधि (1798 – 1805) –

  • राजपुताना में इस सर्वप्रथम क्रमश: भरतपुर के शासक रणजीत सिंह ने स्वीकार की लेकिन बाद में मराठाओं को शरण देने के कारण इस संधि को स्वीकार नहीं किया।
  • तत्पश्चात अलवर के शासक बख्तावर सिंह ने मजबुती से स्वीकार किया।

(ख) लॉर्ड हेस्टिंग की आश्रित पार्थक्य की संधि (1813-1823)-

  • इस संधि को स्वीकार करने वाले राजाओं को अंग्रेज अपना दोस्त नहीं मानकर अपने अधिनस्थ माना।
  • स्वीकारा क्यों – मराठाओं के आक्रमणों के कारण
  • मघ्यस्था से स्वीकारा – चार्ल्स मेटकोफ (भारत में 1857 की क्रांति)
    संधि की शर्तें
  • अंग्रेज राजपुत शासकों की रक्षा करेंगे बदले में राजपुत शासक उन्हें कर देंगे।
    संधि का परिणाम
  • सर्वप्रथम करौली के राजा हरवक्षपाल सिंह ने अपनाया।
  • इस संधि को मजबुती के साथ कोटा के उम्मेद सिंह ने अपनाया।
  • सबसे अंत में सिरोही के शिवसिंह ने स्वीकारा।
  • इस संधि को नहीं स्वीकारा – अलवर, भरतपुर, धोलपुर
  • इस संधि के तहत राजपुताना में छ: (6) सैनिक छावनियों की स्थापना की।
  • EIC के द्वारा राजपुताना में टोंक झालावाड़ दो नई रियासतें स्थापित की गई।
  • इस संधि के तहत अंग्रेजों ने प्रत्येक रियासत में अपने एक – एक PA (Political Agent) नियुक्त किया।
  • इस संधि के तहत ही भारत के GG (Governor General) लॉर्ड विलियम बैटिग ने 1832 ई. में राजपुताना रेजीडेंसी की स्थापना की
    राजपुताना रेजीडेंसी
  • मुख्यालय – अजमेर माउण्ट आबु
  • मुख्य अधिकारी – AGG (Assistant Governor General) – मिस्टर लॉकेट
  • 1857 की क्रांति के समय AGG – पेट्रिक लोरेन्स

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