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राजस्थान में 1857 की क्रांति

Written by rkjameria

राजस्थान में 1857 की क्रांति

राजपुताना रेजीडेंसी

  • निर्माण – 1832 ई.
  • मुख्यालय – अजमेर व माउण्ट आबु
  • मुख्य अधिकारी (प्रथम) – AGG (Assistant Governor General) – मिस्टर लॉकेट
  • 1857 की क्रांति के समय के AGG – पैट्रिक लॉरेंस
  • राजपुताना की कूल रियासतें -19
  • केन्द्र शासित प्रदेश -1 (अजमेंर मेरवाड़ा)
  • सैनिक छावनियां – 6 (ए ननी ब्याव देख)
    – एरिनपुरा (पाली)
    – नसीराबाद (अजमेर)
    नी – नीमच (MP)
    ब्याव – ब्यावर (अजमेर)
    दे – देवाली (टोंक)
    – खेरवाड़ा (उदयपुर)
  • 1857 की क्रांति की कुलदेवी – सुगाली माता
    सुगाली माता
  • माता के सिर – 10
  • माता के हाथ – 54
  • कूलदेवी – ठा. कुशाल सिंह चम्पावत की
  • माता का मंदिर – पाली (आहुवा)
  • वर्ततान में मूर्ति – बागड़ संग्राहलय में (पाली)
  • 1857 की क्रांति की शुरुआत – 28 मई 1857 (नसीराबाद, अजमेर)
  • राजपुताने का मंगलपांडे – अमरचंद बांडिया
  • विद्रोह नहीं करने वाली छावनियां – ब्यावर और खेरवाड़ा
क्र.सं.रियासतशासकPA(Political Agent)
1.जयपुररामसिंह IIईडर
2.मेवाड़ / उदयपुरस्वरुपसिंहशॉवर्स
3.जोधपुरतख्तसिंहमिसन / मैसन
4.कोटारामसिंह IIबर्टन
राजस्थान में 1857 की क्रांति

सैनिक छावनियों में विद्रोह

1. नसीराबाद – राजस्थान में 1857 की क्रांति
स्थान – अजमेर
कब – 28 मई 1857
विद्रोह करने वाली – 15 वीं नेटिव इन्फेंट्री
कारण – अंग्रेजों द्वारा भारतीय सैनिकों पर अविश्वास दिखाना
परिणाम – भारतीय सैनिकों ने स्पौटिस वुड और न्युबरी नामक दो अंग्रजों की हत्या की और नसीराबाद छावनी को लुट कर दिल्ली पहुंचे।
2.नीमच – राजस्थान में 1857 की क्रांति
स्थान – मध्यप्रदेश
कब – 3 जुन 1857
नियंत्रण में – मेवाड़ के PA (शॉवर्स) के अधीन
अधिकारी – कर्नल एबॉट
कारण – भारतीय सैनिकों को परेड मैदान में बुलाकर अंग्रेजों के प्रति वफादारी की शपथ दिलायी।
नेतृत्त्व – मोहम्मद अली बेग
परिणाम –
1. सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारीयों व उनकी पत्नीयों को गिरफ्तार करके डुंगला गांव (चितौड़गढ़) के किसान रूघाराम के घर केद किया।
2. मेवाड़ के PA (शॉवर्स) ने इन अंग्रेजों को छुड़वाया और मेवाड़ के शासक स्वरुपसिंह ने पिछौला झील के किनारे स्थित जगमंदिर में गोकुलचंद्र महत्ता की देख-रेख में इन्हें रखा।
Note – नीमच छावनी के सैनिकों की शाहपुरा पहुंचने पर यहाँ के राजा लक्ष्मण सिंह ने इनकी सहायता की और दिल्ली जाते समय देवली की छावनी में रुके।
3. एरिनपुरा – राजस्थान में 1857 की क्रांति
  • 1836 ई. में अंग्रेजों द्वारा जोधपुर लिजम नाम से एक सैनिक टुकड़ी बनाई गई ।
  • जोधपुर लिजम की सैनिक टुकड़ी को एरिनपुरा में नियुक्त किया गया।
  • जोधपुर लिजम के पुर्वया (नये) सैनिकों को प्रशिक्षण हेतु मा.आबु भेजा गया।
  • पुर्वया सैनिक पुन: लौटे और एरिनपुरा में विद्रोह किया। उस समय नारा था “दिल्ली की ओर चलो”।
  • एरिनपुरा के सैनिकों को संरक्षण देने वाले आहुवा के ठा. कुशाल सिंह चम्पावत थे।
  • मारवाड़ के राजा तख्तसिंह ने अंग्रेजों की सहायता हेतु सैनिकों के विद्रोह को रोकने के लिए अपनी सेना भेजी, जिसका नेतृत्त्व सेनापति ओनारसिंह ने किया।
विद्रोह का परिणाम – युद्ध
बिठौड़ी का युद्ध (18 Sep. 1857) - (राजस्थान में 1857 की क्रांति)
मध्य – ठा. कुशाल सिंह चम्पावत और एरिनपुरा के सैनिक VS मारवाड़ के ओनारसिंह और अंग्रेज हीथकोट
परिणाम - 
ठा. कुशाल सिंह चम्पावत और एरिनपुरा के सैनिक को जितता देख जोधपुर के PA(मैक मिसन) और AGG (पैट्रिक लॉरेंस) स्वंय सेना लेकर पहुंचे और युद्ध हुआ जिसे काला-गौरा का युद्ध कहते है।
काला-गौरा का युद्ध / चेलावास का युद्ध (राजस्थान में 1857 की क्रांति)
मध्य –ठा. कुशाल सिंह चम्पावत और एरिनपुरा के सैनिक VS AGG (पैट्रिक लॉरेंस) और जोधपुर के PA(मैक मिसन)
परिणाम -
1. ठा. कुशाल सिंह चम्पावत और एरिनपुरा के सैनिक जीत गये
2. AGG (पैट्रिक लॉरेंस) भाग निकला
3. जोधपुर के PA(मैक मिसन) की गर्दन को काटकर आउवा के किले पर टांक दिया।
Note – कर्नल होमस के नेतृत्त्व में सेना भेजी गई और सैनिकों का दमन किया गया।
Note – ठा. कुशाल सिंह चम्पावत ने कोठारियां (चितौड़गढ़) के जागीरदार जोधसिंह के पास शरण ली। तत्पश्चात नीमच में आत्मसमर्पण कर दिया
Note – ठा. कुशाल सिंह चम्पावत की जांच हेतु टेलर आयोग का गठन किया गया। जिसने ठा. कुशाल सिंह को निर्दोष घोषित कर दिया।
4. कोटा (राजस्थान में 1857 की क्रांति)
शासक – रामसिंह II
PA – मेजर बर्टन
सेनापति – 1. जयदयाल 2. मेहराब खाँ
विद्रोह – 15 Oct 1857
कारण - मेजर बर्टन द्वारा रामसिंह II से अपने मुख्य अधिकारियों को गिरफ्तार करने की बात करना।
परिणाम -
1. रामसिंह II को नज़रबंद कर दिया
2. मेजर बर्टन की हत्या कर उसकी गर्दन को काट भाले पर रखकर पुरे शहर में घुमाया गया।
3. मेजर बर्टन के दोनों पुत्रों (डॉ. सैडलर और डॉ. कौटम) की हत्या कर दी।
Note – अंत में AGG पैट्रिक लॉरेंस ने जर्नल रॉर्बट के नेतृत्त्व में सेना भेजी, जिसकी सहायता करौली के मदनपाल सिंह ने की। दोनों ने मिलकर विद्रोह का दमन किया।
Note – 1857 की क्रांति में सबसे भयंकर विपलव कोटा में हुआ।

अंग्रेजों की सहायता हेतु राजा

  • बीकानेर – सरदार सिंह ( यह राजपुताने का एकमात्र शासक था जो अंग्रेजों की सहायता हेतु बाहर गया। बदले में अंग्रेजों ने इनको टीबी परगना ज़ागीर में दी)
  • अलवर – बन्ने सिंह
  • करौली – मदनपाल सिंह
  • मारवाड़ – तख्तसिंह
  • जयपुर – रामसिंह II (अंग्रेजों ने इन्हें सितार-ए-हिन्द की उपाधि दी)
  • मेवाड़ – स्वरुप सिंह
  • झालावाड़ – पृथ्वीसिंह
  • सिरोही – शिवसिंह
  • प्रतापगढ़ – दलपत्त सिंह

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